आँखों की बातें

वो रास्ते में कुछ अजनबियों की आँखे जो तुमसे मिल जाती है।
आँखे जो बहुत कुछ कहना चाहती है
आँखे जो बिन कहे कुछ सीख सी दे जाती है।
कुछ दिल में खौफ जगा जाती है
तो कुछ चेहरे पर मुस्कान दे जाती है।
ये आँखे तो ज़्यादातर को दो ही मिली है
फिर क्यों इतने भिन्न भिन्न भाव झलकाती है।
हाँ पर आँखों के रंग तो अलग होते ही है
पर उन रंगों से सोच कैसे जुडी है।
ये सिर्फ़ आँखे नहीं
ये नज़र है उन आँखों की जो तुम्हे देखती है
और ये नज़रिया है तुम्हारी आँखों का भी
कि तुम उन बुरी नज़रो को भाव देखते हो बस
या अच्छी नज़र की खोज में जुटे रहते हो।

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